बन जाओ....

मेरे कदमों के निशान बहुत है,
भरत बन के पूजूँ तुम, राम के खड़ाऊ बन जाओ,

आँसू बन न धुल जाये,
जिसे पी अमर बनूँ, तुम सुधा से हूबहू बन जाओ,

सलवटें पाई हर राह है,
ओढ़ सुशोभित आजीवन होऊँ, तुम उस कपड़े का थान बन जाओ,

हर दफा खो दिया पाकर,
जिसे देकर भी जग जाने, तुम कर्ण का दान बन जाओ,

ख़्वाब शहर सजाया है ख़्वाबों की फेहरिस्त भी होगी,
जिसे साकार कर इतराऊँ, तुम मेरा वो सपना बन जाओ,

बेहोशी थी कि अब हुआ हूँ.?
चेतन मन हो जाये, तुम हृदय अपना बन जाओ।

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