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Showing posts from 2018

दरख़्त

रह गया अनसुना दीवारों के पीछे, कुछ राज दफन हुए उन दरख्तों के पीछे, बन्द किये थे बीते शरद हवा के डर से, कोई सुराखी का हुनर जानता हो तो आये, चर्चा है कि कुछ तबाह हुआ था, राज़-ए-निहाँ ...

वो अतीत था...!

एक लम्हा बसर नहीं होता हमसे, तुम जीवन संग लेने को कहते हो, वो दौर जुदा था समझाऊं कैसे, तुम अबके दौर में भी उन तक चलने को कहते हो, वो जो बीत चुका अतीत था अब जुड़ा नहीं है मुझसे, तुम अब ...

कैसे भूल जाऊं

वो मेरे बुरे दिनों का साथी था, उसे कैसे भूल जाऊं, वो मेरी आग का पानी था, उसे कैसे भूल जाऊं, वो दौर मेरी ज़िंदगी का जहाँ कोहरा ही कोहरा था फैला हुआ,, वो मेरी राह का जुगनू था कैसे भूल ज...

अक्स

जरा सा अक्स देख लूँ तो पूरे दिन उतरता ही नहीं, तू होता तो चढ़ लेता सारी सीढ़ियों को शायद, यूँ तो कभी उतरता ही नहीं.. तू होता तो चमक इन सीढ़ियों की खिंचतीं रहती अपनी ओर, चमकदार होता मै...

डीठ, जरुरी तो नहीं...

चले जाओगे क्या उन बदुरस्त राहों में, बल जहां ठौर-ठिकाने बमुश्किल मिला करते है, एक लेख बन जाओगे गर चले गए, क्या सच में उस राह मुड़ जाओगे? मुड़ना हुआ भी तो बस एक लेख की खातिर.... अगले ही ...

एक बार फ़िर .........

        कल रात माँ फिर सपने में आई थी,,......... पता नहीं क्यों आयी थी? जाने क्या कहना चाहती थी? जाने क्या आभास करवाने आयी थी? आज सुबह-सुबह कृष्णा के मन में ना जाने कितनी उहापोह सी चल रही ...

"सवाल"

       आज फ़िर गाँव में शादी समारोह था,,,, और आज भी वो शादी समारोह में शामिल होने नहीं गयी,, कृष्णा बार-बार जाकर पूछ रहा था कि शादियों में जाती क्यों नहीं हो, गावँ में ना जाने कितनों ...

ख़्वाब शहर

सुनो चंदा ................                   ज़िंदगी बहकने का नाम नहीं है ज़िन्दगी तो महकने का नाम है,, क्यों कर ख़ुद को ख़फ़ा करें हम किसी शख़्स के ख़ातिर,, क्यों किसी को इजाज़त दें दख़ल देने की अपनी ज़...

जीना न आया

गरल था या सुधा था बहुत, बस मुझे ही पीना न आया। जिंदगी घुली थी वहां, बस मुझे ही जीना न आया।। साथ मिला भी दूर तलक, बस मुझे ही चलना न आया। गिरते-पड़ते रहने को पहाड़ सा सफर था, बस मुझे ही ग...

बनूंगा

सुनो, मैं, माना तेरा हमसफ़र न सही तेरी पैमाइशों का हमयार बनूंगा, मैं, तेरे चमक का सितारा न सही, तुम्हारे बुरे में चंदा का प्यार बनूंगा। मैं, तेरी कीमत का सोना नहीं न सही, तेरी आहट...

तेरा साथ भी गजब है

तेरा न मिलकर भी बिछड़ना, साथ चलकर भी दूर छिटकना, कशमकश लिए भागना, अतीत को लेकर बुदबुदाना, प्यार से कहकहाना, बिन बात के बतियाना, न होते हुए भी साथ हूँ कह देना, ऐसे ही झूठ-मूठ का खिश...

खुदा जाने

मेरे जग में यूँ तो बहुत सी कृतियाँ हैं हर कहीं फैली हुई, कुछ जीवंत, कुछ उजड़ सी गयी, कुछ बिल्कुल ही मैली हुई, किस ओर डपट जाऊं किसी रोज खुदा जाने, अज़ीम भी है, तज्ञ भी है, अब्तर भी है, उम...

04 सितम्बर

                   आज का दिन (04, सितम्बर, 2012) एक इतिहास,   एक एहसास,     एक अल्फाज,      एक मुफलिसी,        एक अदम, एक पुष्पवाटिका,   एक ख्वाहिश,    एक तिलिस्म,     एक दिवास्वप्न,       एक उ...

कैद....।

उसने इस कदर दबा रखा है सीने में उसे, जंजीरें दर्द से कराह रही है। ये महोब्बत थी कि सुराख-ए-कैदखाना , जितने अंदर समाये, सहारा सा मिल रहा है बेवहा अंधेरे का। वो इस फन में माहिर निक...

एक फासला और सही..

कि मीलों के सफर तय किये हैं तूने,                            एक फासला और सही.. जरा सी तब्दीली चाहिए तेरे हाल में, कि परिवर्तन              आएगा जरूर, एक हौसला और सही।            ...

मेरा घर

एक पेड़ तो नहीं ,                         छोटी डलिया था मेरा घर। उड़ान  भरना सीखा तो नहीं,                         पर फैलाये थे पहले पर। सदियां बीत गयी, एक मंज़र बीत गया,           ...

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तुझे संजीदा कहूँ कि बेहूदा, रखा तूने अज़ब शौक से है मुझे, कुछ मैले, उखले से बचपन के रंगों में नहाये... थे भी नहीं भी थे! पर जो भी थे सुहाते थे, वो चिथड़े जिन्हें पहनने का गुमान बस साल म...

जलजला

अजब जलजला ले आता है, वो शख्स!           जब कहीं चले जाने को होता है। धाराएँ कहीं दूर छिटकती है, लहरें किनारों में ठहरने को होती है, आंधियां झोपड़ी छीनने को आती है, तूफ़ां आपे में न...

देखना ही होगा।

देखो तो बसन्त की उम्मीद में सारी ऋत सोया नहीं है, पतझड़ तो शुरू हुआ भी है कि नहीं। ये वृक्ष हैं ना बड़ा बदरंग होता है, आके देखो, पतझड़ का मौसम है, देखना ही होगा। ये जो शाख पर नए पत्ते ...