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Showing posts from December, 2015

ए चल कि नया साल मनाएं

खुशियों की और चले दुःख की यादों को जलाएं ए चल कि नया साल मनाएं सफर-ए-नए साल चलें बुराई की होली जलाएं ए चल कि नया साल मनाएं दिन गए साल गए दोस्त आये दोस्त गए ए चल कि नए दोस्त बनाएं ...

तलाश

न दूर हैं ना पास हैं पल-पल जिसका एहसास हैं न जाने क्या हैं वो जिसकी हमें तलाश हैं बेकार लगता हैं सोचना कभी पर कभी लगता कुछ खास हैं क्या हैं न जाने वो बहुत कुछ खोने के बाद भी जिसक...

दर्दे दिल बयाँ न करना

दिल के दर्द को बयान न करना दुनिया की तो आदत हैं दया ना करना दर्द-ए-दिल सुनते हैं बड़े गौर से हँसते भी हैं पीछे जोर से दर्द बाँटने की चाहत कभी ना रखना पर बांध के पोटली सभी ना रखना भ...

मुजरिम व समाज

रूखी-सुखी खाता था                 पेट पकड़ के रोता था। फुटपाथ से उठाता था                 भूख लगे तो रोता था। तन ढकने को कपड़ा था                  पेट भरना लक्ष्य था। भीख माँगना ...

कौन कहता हैं सपने नहीं टूटते

कौन कहता हैं सपने नहीं टूटते सपने उनके टूटते हैं जो सपनो में सपना ढूंढते हैं सपना वो साकार होता हैं जो जागती आँखों में होता हैं जो देखता हैं सोकर सपने वो अपनी किस्मत में रोत...

सुख-दुःख

पक्षियों की चहचहाहट में भौरों की गुनगुनाहट में मुझे जीवन का खालीपन नज़र आता हैं। पत्तों की सरसराहट में पशुओं की फुसफुसाहट में मुझे जीवन का सूनापन नज़र आता हैं। सूरज की गरम...

जाने क्यों

जानें क्यों ये नदी निरन्तर बहती हैं क्यों हवा भी चलती रहती हैं पर ये कलम क्यों नहीं रोज़ चलती हैं क्यों सूरज गर्मी देता हैं क्यों जीवन सदा रुलाता हैं क्यों घड़ी निरंतर चलती ह...

माँ

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दिल में तेरी यादों की आहट हैं माँ,  मिलने की बड़ी चाहत हैं माँ  देखा मैने दुनिया भर के चेहरे  एक तेरा चेहरा फिर देखने की चाहत हैं। तलाशता हूँ तुझे इस उस चेहरे  पर हर चेहरे पे ल...

छोड़ दिया........। wrote on 12/06/2010

जबसे हमने उनके अरमान पर पानी पड़ते देखा, अरमान रखना ही छोड़ दिया। और जबसे उनके सपने को बिखरते देखा, सपने पालना भी छोड़ दिया। जबसे बैठे वे महखाने में, मदिरापान भी छोड़ दिया। ...

याद आई माँ

आज फिर तू याद आई आई और रूला गई कभी देखूं तू हैं यहीं खोलूं आखें तो दिखती नहीं कहीं तू गई कहां नहीं पता एक बार आ और बता खेल रही मुझसे या हुई मुझसे खता मां आ और बता तेरा सुना-सुनाय...

क्यों

आँखे हो रही हैं बोझिल,                 नींद क्यों कोसों दूर हैं? सोचना नहीं चाहता हैं दिल                 फिर भी सोचने को मजबूर हैं। जो चाहते है पाना लोग उन्हें जाता हैं मिल   ...

तलाश

ना दूर हैं ना पास हैं पल-पल जिसका अहसास हैं, ना जाने क्या हैं वो जिसकी हमें तलाश हैं। बेकार लगता हैं कभी सोचना, पर कभी लगता कुछ खास हैं, क्या हैं न जाने वो बहुत कुछ खोने के बाद भी ज...

कि एक दिन ऐसा आये

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कि एक दिन ऐसा आये क्षण बोले कण मुस्काये साये में धूप आ जाये और काली आंधी भी थम जाये उखड़े पांव जमीन में टिक जाये आँखों की लहर से मैला आँचल धूल जाये प्रेम का सागर छलके और सब तृप्त हो जाये माटी की मूरतों में फिर जान आ जाये कि सावन ऐसा आये आधे-अधूरे मिलन की प्यास बुझ जाये कि समुद्र मन्थन फिर हो जाये अमृत निकले और हर माँ प्रेम वाटिका बन जाये कि नीलकंठी फिर आ जायें आदमी का जहर एक घूंट में पी जायें प्रतिशोध की आहुति देने  भोर के तारे फिर आ जायें कि एक दिन ऐसा आये बूँद और समुद्र के सम्बन्ध फिर हर्षाये अंधेर नगरी के टेड़े-मेढे रास्ते ज्ञान द्वीप से जगमगाये वीणा की गुंजन लहर फैले और प्रेम सागर में घुल जाये प्रेम की फुलवारी खिल जाये और विनोद की वर्षा हो जाये कि एक दिन ऐसा आये...........। 24 नवम्बर 2012 को बनाई गयी ये पंक्तियाँ हिंदी की प्रसिद्ध रचनाओं पर आधारित हैं। इसकी प्रत्येक पंक्ति में एक,दो या तीन रचनाएँ हैं।

पहाड़ का रोना

आज के समय में पहाड़ के गांव जिस तरह ख़ाली हो रहे हैं उस दशा में पहाड़ की दशा देखें किस तरह रो रहा हैं पहाड़ । अरे विकास के ठेकेदारों पलायन की गति तो देखो विकास तुम्हारा कहाँ गया? रो...

यूँही बैठा रहा

न जाने कितने दिन कितने साल मैं यूँही बैठा रहा उड़ने की चाहत लिए मन में मैं लेटा रहा समय का पहिया घूमता रहा और मैं सोता रहा सीढ़ी लगानी थी आसमां तक मैं गड्डा ही खोदता रहा पकवानो...

सांत्वना मन को

मन मेरे मत रो कोई नहीं तो क्या, मैं तेरे साथ हूँ.. आंशुओं ने कहाँ मुझसे, मैं आने वाली खुशियों की बरसात हूँ। इस अँधेरे ने भी कहा मुझसे, मैं तेरे जीवन की रात हूँ रात के बाद दिन आएगा म...

संघर्ष

मरने को हो जाय मज़बूर,                                ऐसा कर्म ना करो। मर कर भी हो थू-थू,                            ऐसी मौत ना मरो।               ऋणी तो हैं दुनिया में   सभी खाने क...

राह न बदलना......।

मन्ज़िल आसान नहीं तो क्या                                       राह ना बदलना    हैं कुछ अँधेरा तो क्या                                  ज़िन्दगी स्याह न समझना       यूँ तो पात...

असफलता बस एक रात

रात तो होनी ही है परेशान मत हो काँटों को देखके हैरान ना हो रात न होती तो दिया न जलता कांटे न होते तो गुलाब नही न खिलता दुःख समझ मत गवां इस पल को यही जीवन का एहसास हैं असफलता तो मि...

क्या बदला माँ

क्या बदला माँ देख तेरे जाने के बाद  सब कुछ वैसा ही हैं  नहीं हैं तो बस तू क्या सोच के चली गयी माँ  या तो सीखा जाती दुनिया से लड़ना  या फिर ना सिखाती उठना  तेरे बताएं रास्तों मे...

तोड़ दी मैंने डोर इंसानियत की फिर से

तोड़ दी मैंने डोर इंसानियत की फिर से उठ चूका विश्वास किसी का मुझ पर से फिर बोल उठा आज मैं अपने मन से कि मत जला आशाओं के दीप बुझ जायेंगे आसूं रूपी जल से मत बनना सहारा आगे से कह दिय...

डर हैं।

अनदेखे-अनजाने पल का डर हैं ज़िन्दगी और हैं कि क्षण भर हैं यूँ ही मर भी जाऊँ तो कैसे चुकाना अभी कितना कर हैं? ए खुदा..! जमीं पे लाया तू पर कुछ तो बता कहाँ मेरी मन्ज़िल कितना मेरा सफर ...