तलाश

न दूर हैं ना पास हैं पल-पल जिसका एहसास हैं
न जाने क्या हैं वो जिसकी हमें तलाश हैं

बेकार लगता हैं सोचना कभी पर कभी लगता कुछ खास हैं
क्या हैं न जाने वो बहुत कुछ खोने के बाद भी जिसकी आश हैं

मज़ाक सी लगती हैं मन्ज़िल जिसे ना पाकर लोग निराश हैं
बढ़ रही हैं नफरत प्रेम का हो रहा ह्रास हैं

ऐसे में उसका एहसास हैं जिसकी हमें तलाश हैं
वो है कहीं पास ही जिसकी हमें तलाश हैं

जिसे ढूंढ रहे हैं दुनिया घूमकर उसका हमारे भीतर आवास हैं

वो न पास हैं ना दूर हैं जिसका हमें एहसास हैं
तभी तो कुछ खास हैं पल-पल उसका हमें एहसास हैं।

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