संघर्ष
मरने को हो जाय मज़बूर,
ऐसा कर्म ना करो।
मर कर भी हो थू-थू,
ऐसी मौत ना मरो।
ऋणी तो हैं दुनिया में सभी
खाने को ना बचे
ऐसा ऋण भी ना भरो।
संघर्ष तो सभी करते हैं दुनिया में
पर कहीं मुजरिम ना कहलाओं,
ऐसे भी ना लड़ो।
मन्ज़िल तो सभी पाना चाहते हैं सभी
पर पहुँचकर भी ना सम्भल सको,
ऐसे भी ना चढ़ो।
आगे निकलना तो सभी चाहते हैं
पर कहीं खुद को ही भूल जाओ,
ऐसे भी ना बढ़ो।
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