क्या बदला माँ
क्या बदला माँ देख तेरे जाने के बाद
सब कुछ वैसा ही हैं
नहीं हैं तो बस तू
क्या सोच के चली गयी माँ
या तो सीखा जाती दुनिया से लड़ना
या फिर ना सिखाती उठना
तेरे बताएं रास्तों में चल नहीं पाउँगा माँ
तू थी तो हिम्मत थी धैर्य था अब क्या हैं
माँ सच बोलूँ तो कुछ नहीं मेरे पास
अकेला सा हो गया हूँ इस भीड़ में....।
क्या बदला
बाकी सब वही हैं
बस पापा की बोझिल आँखे भारी सी नज़र आती हैं
तेरे जाने के बाद उदासी बढ़ गयी हैं उनमें
अब तो रह-रह के रो पड़ते हैं कई बार
बाकी सब वही हैं माँ
क्या बदला
बस मैं पहले जैसी ज़िद नहीं करता माँ
खाना खाने में भी समय नहीं लगाता
अब मैं आज्ञाकारी हो गया हूँ माँ
तू मत रोना माँ
कुछ नहीं बदला यहाँ सब वही हैं
नहीं हैं तो एक तू बस
बाकी सब वही हैं।
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