याद आई माँ
आज फिर तू याद आई
आई और रूला गई
कभी देखूं तू हैं यहीं
खोलूं आखें तो दिखती नहीं कहीं
तू गई कहां नहीं पता
एक बार आ और बता
खेल रही मुझसे या
हुई मुझसे खता
मां आ और बता
तेरा सुना-सुनाया दर्द में डूबा चेहरा याद आता हैं
तू ही बता क्या नाराजगी में कोई इतना दूर जाता हैं
तूझे शायद जरूरत ना रही हो मेरी
पर तूझ बिन मैं अधूरा हूँ अधूरा रह जाऊंगा...।
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