राह न बदलना......।
मन्ज़िल आसान नहीं तो क्या
राह ना बदलना
हैं कुछ अँधेरा तो क्या
ज़िन्दगी स्याह न समझना
यूँ तो पाते हैं सभी मन्ज़िल
राह उनकी भी आसान न समझना
ठोकरें सभी को खानी हैं पर
सब के बस में नहीं संभलना
जीता वही हैं दुनिया से दोस्तों
जिसने नहीं सीखा बिखरना
हैं कुछ अँधेरा तो क्या
ज़िन्दगी स्याह न समझना....।
आसान नहीं राह तो
मुश्किल भी न बनाना
ज़िन्दगी का तो काम हैं डगमगाना
डगमगाती राह में सम्भलकर चलना
मन्ज़िल आसान नहीं तो क्या
राह न बदलना......।
हैं कुछ अँधेरा तो क्या
ज़िन्दगी स्याह ना समझना.....
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