क्यों
आँखे हो रही हैं बोझिल,
नींद क्यों कोसों दूर हैं?
सोचना नहीं चाहता हैं दिल
फिर भी सोचने को मजबूर हैं।
जो चाहते है पाना लोग उन्हें जाता हैं मिल
फिर मेरा क्या कसूर हैं।
सभी चाहते हैं पाना मन्ज़िल
ये कैसा दस्तूर हैं?
सुख की चाहत ना रखता हो कौन हैं ऐसा गाफिल
आखिर सुख कैसा नूर हैं?
किनारा चाहता हैं जो साहिल
उसी के लिए क्यों किनारा दूर हैं ?
सोचना नहीं चाहता हैं दिल
क्यों फिर भी सोचने को मज़बूर हैं?
...........Dec 2009
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