असफलता बस एक रात
रात तो होनी ही है परेशान मत हो
काँटों को देखके हैरान ना हो
रात न होती तो दिया न जलता
कांटे न होते तो गुलाब नही न खिलता
दुःख समझ मत गवां इस पल को
यही जीवन का एहसास हैं
असफलता तो मिलती हैं परास्त मत हो
और इन ठोकरों क्या इनसे पस्त मत हो
इसी असफलता में हैं सफलता का राज़
बिना ठोकरों के मन्ज़िल पाई हो ऐसा कौन हैं आज
ठोकरों को मन्ज़िल समझ राह ना बदल
हर राह में हैं कोई न कोई दलदल
इन्ही ठोकरों से होते हैं पांव कठोर
सफल होके फिर जो चाहे बटोर
असफलता तो सावन के बादल हैं इन्हें तो बरसना ही हैं
इनसे डरकर आशियाँ ना बदल
रात तो होनी ही हैं परेशान मत हो
काँटों को देखकर हैरान मन हो......।
March 2011 में लिखित........
Comments
Post a Comment