छोड़ दिया........। wrote on 12/06/2010
जबसे हमने उनके अरमान पर पानी पड़ते देखा,
अरमान रखना ही छोड़ दिया।
और जबसे उनके सपने को बिखरते देखा,
सपने पालना भी छोड़ दिया।
जबसे बैठे वे महखाने में,
मदिरापान भी छोड़ दिया।
और जबसे देखा हाल-ए-शायरी में डूबते उनको,
शायरी करना भी छोड़ दिया।
जब देखा तन्हाई से गुत्थमगुत्था उन्हें,
तन्हाई से दोस्ती भी तोड़ दी।
और जबसे उन्हें जश्न-ए-गम में झूमते देखा,
गम से नाता भी तोड़ दिया।
फिर सोचा जोड़ लू रिश्ता खुदा की आखिरी रश्म से,
पर देखा उन्होंने जोड़ लिया रिश्ता भस्म से.।
तब से ज़िंदा लाश हूँ मैं कस्म से.....
ज़िंदा लाश हूँ मैं कस्म से.......।
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